Little Known Facts About parad shivling.

तभी वह शुद्ध पारद शिवलिंग बनता है। पारा असली है या नकली इसका पता लगाने के लिए निम्नलिखित प्रयोग करें।

जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में भगवान शिव को शिवलिंग के साथ भित्तिचित्र कला में दर्शाया गया है।



इसलिए ऐसी स्तिथि में आपको जिसने नकली शिवलिंग देने का कार्य किया है। असली पारद शिवलिंग स्थापित करने के बाद नकली को वापस उसी व्यक्ति को भेज दें। ताकि आपके द्वारा कोई अन्य पापकर्म न हो।

विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करते हुए शालिग्राम को पंचामृत से स्नान करवाएं।

अगर परिवार के किसी सदस्य की तबीयत खराब है तो उनको दवाओं के साथ पारद शिवलिंग की पूजा करवाएं। ऐसा करने से सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है

Worshipping this Shivling will provide your peace, prosperity, and results in life. This Shivling is developed by our proficient designers with pure mercury.

Perform a crucial position while in the purification procces. Just after this stage mercury (parad) will come absolutely within a pure from by going through the Ashtasanskar (eight stages of purification) According to the parad Samhita. Only these kinds of stable and stable type of mercury can face up to at extremely superior temperature when heated. It can also be manufactured to powder by crushing as well as may be become liquid type by heating agian. This siddha parad is then fashioned to make the exceptional Murtibaddha or Agnibaddha 'Parad Shivlinga'.

    It develops head electric power to attain powerful will that's very good for advancement of the two physical health and mind.

पारद शिवलिंग बहुत ही पुण्य फलदायी और सौभाग्यदायक होते हैं।

It's able to dismissing the bad outcomes of Dashas, planets, and adverse Yogas. The divine emblem also possesses parad shivling the power of diminishing anxiety of existence & beginning, Consequently, making you Activity about fearlessly.

महागौरी- श्रीं क्लीं ह्रीं वरदायै नमः।।

यदि असली पारद शिवलिंग को हथेली पर घिसा जाए तो इसमें से कालिख नहीं निकलती है।

पारद शिवलिंग बहुत ही पुण्य फलदायी और सौभाग्यदायक होते हैं। पारद शिवलिंग के महत्व का वर्णन ब्रह्मपुराण, ब्रह्मवेवर्त पुराण, शिव पुराण, उपनिषद आदि अनेक ग्रंथों में किया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *